मौजूदा सरकार की हिंदुत्ववादी विचारधारा के चलते देश में फेल रहा धार्मिक द्वेष भविष्य के भारत के लिए सुखद नही है।आज मीडिया, न्याय व्यवस्था और प्रशासन जो वर्तमान सरकारों में लोकतंत्र के महत्वपूर्ण स्तंभ होते है,आज मजबूत धातु की बजाए रबड़ के से प्रतीत होते है। शासन जैसे मर्जी इनका प्रयोग सुविधा अनुसार कर रहा है, उदहारण के तौर पे caa/nrc के विरोध प्रदर्शन के समय को ले लीजिए, दिल्ली में दंगे तक हुए,कई जाने गई, संपतिया निजी और सरकारी का नुकसान हुआ, सैंकड़ों गिरफ्तारी भी हुई, किंतु सरकार ने जो उनके पक्ष में थे और भड़काऊ बयान भी दिए उनको तो माफ किया या इनाम दिया, किंतु विपक्ष को लंबी यातना में झोंक दिया। अभी कुछ दिन पूर्व भी कुछ सरकारी लाडलो ने दूसरे धर्म के पुजनियो पे आपत्ति जनक टिप्पणी की, जिसके परिणाम स्वरूप देश विदेश में माहोल खराब हुआ, विरोध प्रदर्शन भी हुए, उस समय जो गिरफ्तारी हुई उनमें जो गिरफ्तार हुए उनपे मारने पीटने, घर गिराने और देश द्रोह जैसे कानून लगा दिए गए, कई माताओं ने अपने सपूत यूंही गवा दिए। फिर आए अग्निवीर और अग्निपथ पे चलने वाले युवा, को विरोध तो जायज था तरीका गलत देश भर में आगजनि, तोड़फोड़ और तांडव जारी है, किंतु कार्यवाही वैसी नहीं जैसे दूसरे धर्म के लोगों पर हुई। लोकतांत्रिक सरकार का जनता के हर वर्ग जाति और धर्म को बराबरी से देखने का फर्ज बनता है। किंतु हो रहा इसके विपरीत ही है। सरकार को समझना जरूरी है की सत्ता लोलुपता तब तक ही जायज है जब तक आप जनहित में कर्मठता से लग्न रहते है। किंतु जब इसके चलते देश की अर्थव्यवस्था, भाईचारा, सरकारी संस्थाओं की स्वायत्तता बर्बाद होने लगे तो भयानक भविष्य को कोई रोक नहीं सकता। जय हिंद। वन्देमात्रम
Government To -For - By The religion.
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